Maruti Stotra – मारुती स्तोत्र हनुमान जी का एक सिद्ध मन्त्र है. इस मन्त्र के माध्यम से आप हनुमान जी की आराधना कर सकतें हैं.
Maruti Stotra
हनुमान बाहुक हिंदी में
मारुती स्तोत्र का पाठ कैसे करें ?
Maruti Stotra |
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- मारुती स्तोत्र का पाठ आप रोजाना कर सकतें है.
- यदि रोजाना मारुती स्तोत्र का पाठ करना संभव नहीं हो तो आप मंगलवार को मारुती स्तोत्र का पाठ करें.
- मारुती स्तोत्र का पाठ आप सनिवार को भी कर सकतें है.
- मारुती स्तोत्र का पाठ आप अपने घर या किसी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कर सकतें हैं.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने के लिए प्रातः काल का समय शुभ होता है.
- मारुती स्तोत्र का पाठ आप संध्या काल में भी कर सकतें हैं.
- मारुती स्तोत्र का पाठ हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से पूरब स्नान कर ले और खुद को शुद्ध कर लें.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करते समय हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को किसी लाल आसन पर सामने रखें.
- हनुमान जी को सिंदूर अति प्रिय है. इसलिय हनुमान जी को सिंदूर लगायें.
- धुप-दीप, लाल पुष्प आदि से उनकी पूजा करें.
- नैवेद्द चढ़ाएं. हनुमान जी को आप लड्डू या फिर चना-गुड का भोग लगा सकतें हैं.
- मारुती स्तोत्र का जाप करते समय बजरंगबली हनुमान जी पर दृढ विश्वास और श्रद्धा बनाये रखें.
- मारुती स्तोत्र का पाठ संपन्न करने के पश्चात् हनुमान जी को प्रणाम करते हुए उनसे आशीर्वाद प्रदान करने की याचना करें.
मारुती स्तोत्र के पाठ से क्या-क्या फल प्राप्त होता है?
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होतें है और अपने भक्त को आशीर्वाद देतें हैं.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के जीवन में सभी तरह की शुख शांति मिलती है.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के ह्रदय से भय का नाश होता है.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों का निवारण कर देतें हैं.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन-धान्य की बृद्धि होती है.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से साधक के चरों ओर स्थित सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से साधक के चारों ओर सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है.
- मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी अपने भक्त के सभी रोग और कष्टों का निवारण करतें हैं.
- मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के शारीरिक और मानसिक शक्ति में बृद्धि होती है./
Maruti Stotra मारुती स्तोत्र
मारुती स्तोत्र
भीमरूपी महारुद्रा वज्र हनुमान मारुती ।
वनारी अन्जनीसूता रामदूता प्रभंजना ॥1॥
महाबळी प्राणदाता सकळां उठवी बळें ।
सौख्यकारी दुःखहारी दूत वैष्णव गायका ॥2॥
दीननाथा हरीरूपा सुंदरा जगदंतरा ।
पातालदेवताहंता भव्यसिंदूरलेपना ॥3॥
लोकनाथा जगन्नाथा प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला पावना परितोषका ॥4॥
ध्वजांगें उचली बाहो आवेशें लोटला पुढें ।
काळाग्नि काळरुद्राग्नि देखतां कांपती भयें ॥5॥
ब्रह्मांडें माइलीं नेणों आंवाळे दंतपंगती ।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा भ्रुकुटी ताठिल्या बळें ॥6॥
पुच्छ तें मुरडिलें माथां किरीटी कुंडलें बरीं ।
सुवर्ण कटि कांसोटी घंटा किंकिणि नागरा ॥7॥
ठकारे पर्वता ऐसा नेटका सडपातळू ।
चपळांग पाहतां मोठें महाविद्युल्लतेपरी ॥8॥
कोटिच्या कोटि उड्डाणें झेंपावे उत्तरेकडे ।
मंदाद्रीसारखा द्रोणू क्रोधें उत्पाटिला बळें ॥9॥
आणिला मागुतीं नेला आला गेला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें गतीसी तूळणा नसे ॥१10॥
अणूपासोनि ब्रह्मांडाएवढा होत जातसे ।
तयासी तुळणा कोठें मेरु- मांदार धाकुटे ॥11॥
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे वज्रपुच्छें करूं शके ।
तयासी तुळणा कैंची ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ॥12॥
आरक्त देखिले डोळां ग्रासिलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे भेदिलें शून्यमंडळा ॥13॥
धनधान्य पशुवृद्धि पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादि स्तोत्रपाठें करूनियां ॥14॥
भूतप्रेतसमंधादि रोगव्याधि समस्तही ।
नासती तुटती चिंता आनंदे भीमदर्शनें ॥15॥
हे धरा पंधराश्लोकी लाभली शोभली बरी ।
दृढदेहो निःसंदेहो संख्या चंद्रकला गुणें ॥16॥
रामदासीं अग्रगण्यू कपिकुळासि मंडणू ।
रामरूपी अन्तरात्मा दर्शने दोष नासती ॥17॥
॥इति श्री रामदासकृतं संकटनिरसनं नाम ॥
॥ श्री मारुति स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥