हनुमान साठिका हिंदी | Hanuman Sathika in Hindi, PDF, Video.
बजरंगबली हनुमान साठिका | Bajrangbali Hanuman Sathika : अत्यंत चमत्कारी और प्रभावशाली है श्री हनुमान साठिका. हनुमान जी के भक्तों के लिए हनुमान साठिका या हनुमद बन्दीमोचन ( Hanumant Bandimochan )का अपना महत्व है. हनुमान चालीसा की तरह अगर आप हनुमान साठिका का पाठ करतें हैं तो आप पर सदा हनुमान जी की कृपा बनी रहेगी. हनुमान साठिका का पाठ करने वाले हनुमान भक्त सदा भय से बचे रहतें हैं. इस हनुमान साठिका का पाठ करने से आपका जीवन सदा सुखमय रहेगा.
Hanuman Sathika
|| हनुमान साठिका ||
|| हनुमद्-बन्दीमोचन ||
दोहा
वीर बखानौं पवनसुत,जानत सकल जहान |
धन्य-धन्य अञ्जनितनय,संकट हर हनुमान ||
|| चौपाई ||
जय जय जय हनुमान अङङग्ी |
महावीर विक्रम बजरंगी ||
जय कपीश जय पवनकुमारा |
जय जगवन्दन शील अगारा ||
जय उद्धोत अमल अविकारी |
अरिमर्दन जय जय गिरिधारी ||
अंजनी उदर जन्म तुम लीन्हा |
जय जयकार देवतन कीन्हा ||
बजी दुन्दुभी गगन गँभीरा |
सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ||
काँपे सिन्धु लंक शंकाने |
छूटहि बन्दि देवतन जाने ||
ॠषि समूह निकट चलि आये |
पवनतनय के पद शिर नाये ||
बार बार अस्तुति कर नाना |
निर्मल नाम धरा हनुमाना ||
सकल ॠषिण मिलि अस मत ठाना |
दीन्ह बताय लाल फल खाना ||
सुनत वचन कपि अति हर्षाने |
रविरथ ग्रसा लाल फल माने ||
रथ समेत रवि कीन्ह अहारा |
शोर भयो तहँ अति भयकारा ||
बिन तमारि सुर मुनि अकुलाने |
तब कपीश की अस्तुति ठाने ||
सकल लोक व्रित्तान्त सुनावा |
चतुरानन तब रवि उगिलावा ||
कहेउ बहोरि सुनहु बलशीला |
रामचन्द्र करिहैं बहु लीला ||
तब तुम बलकर करब सहाई |
अबहिं बसौ कानन में जाई ||
अस कहि विधि निजलोक सिधारा |
मिले सखन संग पवनकुमारा ||
खेलहिं खेल महा तरू तोरहिं |
केलि करहिं बहु पर्वत फोरहिं ||
जेहि गिरि चरण देत कपि धाई |
धलसो धसकि रसातल जाई ||
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा |
निरखत रहे राम मगु आसा ||
मिले राम लै पवनकुमारा |
अति आनन्द समीर दुलारा ||
पुनि मुँदरी रघुपति सों पाई |
सीता खोज चले कपिराई ||
शतयोजन जलनिधि विस्तारा |
अगम अगाध देवमन हारा ||
बिन श्रम गोखुर सरिस कपीशा |
लाँघी गये कपि कहि जगदीशा ||
सीताचरण शीश तिन नावा |
अजर अमर कर आशीष पावा ||
रहे दनुज उपवन रखवारी |
इक ते एक महाभट भारी ||
तिनहिं मारि उपवन करि खीसा |
दहेउ लंक काँपेउ दशशीसा ||
सिया शोध लै पुनि फिर आये |
रामचन्द्र के पद शिर नाये ||
मेरू विशाल आनि पल माहीं |
बाँधा सिन्धु निमिष इक माहीं ||
भे फणीश शक्तिवश जबहीं |
राम बिलाप कीन्ह बहु तबहीं ||
भवन समेत सुषेणहिं लाये |
पवन सँजीवन को पुनि धाये ||
Hanuman Sathika
मग महँ कालनेमि कहँ मारा |
सुभट अमित निशिचर संहारा ||
आनि सँजीवन शैल समेता |
धरि दीन्हों जहँ कृपानिकेता ||
फणिपति केर शोक हरि लीन्हा |
बर्षि सुमन सुर जै जै कीन्हा ||
अहिरावण हरि अनुज समेता |
लइगो जहँ पाताल निकेता ||
तहाँ रहै देवी सुस्थाना |
दीन्ह चहै बलि काढि कृपाना ||
पवनतनय तहँ कीन्ह गुहारी |
कटक समेत निशाचर मारी ||
रीछ किशपति जहाँ बहोरि |
रामलखन कीन्हेसी इक ठोरी ||
सब देवन की बन्दि छुड़ाई |
सो कीरति नारद मुनि गाई ||
अक्षयकुमार दनुज बलवाना |
ताहि निपात्यो श्री हनुमाना ||
कुम्भकरण रावण कर भाई |
ताहि मुष्टिका दी कपिराई ||
मेघनाद पर शस्त्रहिं मारा |
पवनतनय सम को बरिआरा ||
Hanuman Sathika
मुरहा तनय नरान्तक जाना |
पल महँ ताहि हता हनुमाना ||
जहँ लगि नाम दनुजकरि पावा |
पवनतनय तेहि मारि खसावा ||
जय मारूतसुत जन अनुकूला |
नाम कृशानु शोक सम तूला ||
जेहि जीवन कहँ संशय होई |
अघसमेत तेहि संकट खोई ||
बन्दी परै सुमिर हनुमाना |
गदागरू लै चल बलवाना ||
यम कहँ बाँँधि वामपद दीन्हा |
मृतक जिवाय हाल बहु कीन्हा ||
सो भुजबल कहँ कीन्ह कृपाला |
अछत तुम्हार मोर अस हाला ||
आरतहरन नाम हनुमाना |
शारद सुरपति कीन बखाना ||
संकट रहै न एक रती को |
ध्यान धरै हनुमान यती को ||
धावहु देखि दीनता मोरी |
काटहु बन्दि कहौं कर जोरी ||
कपिपति वेग अनुग्रह करहू |
आतुर आय दास दुख हरहु ||
रामशपथ मैं तुमहि खवाई |
जो न गुहारि लागि शिव जाई ||
बिरद तुम्हारा सकल जग जाना |
भवभंजन सज्जन हनुमाना ||
यह बन्धन कर केतिक बाता |
नाम तुम्हार जगत सुखदाता ||
करहु कृपा जय जय जगस्वामी |
बार अनेक नमामि नमामि ||
भौमवार करि होम विधाना |
धूपदीप नैवेद्ध सुजाना ||
मंगलदायक की लव लावै |
सुर नर मुनि तुरतहि फल पावै ||
जयति जयति जय जय जगस्वामी |
समरथ पुरूष कि अन्तर्यामी ||
अंजनीतनय नाम हनुमाना |
सो तुलसी के कृपानिधाना ||
दोहा
जय कपीश सुग्रीव की, जय अंगद हनुमाना |
राम लखण जय जानकी, सदा करहु कल्याण ||
बन्दीमोचन नाम यह, भौमवार वरमान |
ध्यान धरै नर पाव ही निश्चय पद निर्वान ||
जो यह पाठ पढ़ै नित,तुलसी कहे विचारि |
परे न संकट ताहि तन,साखी हैं त्रिपुरारि ||
सवैया
आरत बैन पुकारि कहौं कपिराज सुनौ बिनती इक म्हारी |
अंगद अरू सुग्रीव महाबल देहु सदा बल शरण तिहारी ||
जामवन्त नल नील पवनसुत द्विविद मयंद महाभट भारी |
दुःख हरौ तुलसी जन की प्रभु है दश वीरन की बलिहारी ||
इति श्रीगोस्वामी तुलसीदासकृत हनुमद्बन्दीमोचन सम्पूर्ण |
हनुमान साठिका का पाठ कैसे करें ?
- हनुमान साठिका का पाठ आप मंगलवार या सनिवार के दिन करना अति शुभ होता है.
- हनुमान साठिका का पाठ आप प्रातःकाल या फिर संध्या काल में कर सकतें हैं.
- हनुमान साठिका का पाठ आप 1,5,या 7 बार कर सकतें हैं.
- हनुमान साठिका का पाठ करने से पूर्व अपने शरीर को शुद्ध कर लेना चाहिये.
- हनुमान साठिका का पाठ आप घर में हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ती की सामने कर सकतें हैं.
- हनुमान साठिका का पाठ आप यदि किसी हनुमान जी के मंदिर में जाकर करतें हैं तो यह अति शुभ फलदायक होता है.
- हनुमान साठिका का पाठ करते समय सदा हनुमान जी पर अति श्रद्धा और विस्वास बनाए रखना चाहिये.
Hanuman Sathika Benefits
Hanumant Bandimochan Benefits
हनुमान साठिका के पाठ से लाभ
हनुमान साठिका ( Hanuman Sathika ) या हनुमद् बन्दीमोचन के नित्य पाठ करने से हनुमान जी कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है. हनुमान जी अपने भक्तों की हर संकट से सदा रक्षा करतें हैं. इस श्लोक के पाठ करने से शरीर के किसी भी संकट का निवारण हो जाता है. इस हनुमान साठिका को पूर्णतया भक्ति भाव से नित्य पाठ करें तो इसके शुभ परिणाम जिंदगी में फलीभूत होतें हैं.हनुमानजी की कृपा हमेशा उन पर बनी रहती है. उनकी मनोकामनाए पूर्ण होती है. इस मन्त्र के पाठ से भय आदि से मुक्ति मिलती है.
Hanuman Sathika Download
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Bahut bahut acha hai jai baba ki